यह एक सत्य घटना मेरे साथ घट चुकी है, मेरा टी वी का इलाज सन् २०१०मंे हुआ था, २०११ मंे
मुझे डाक्टर ने कहा कि मैं बिलकुल ठीक हो गया हुँ
, मेरी दवाएँ भी बन्द हो चुकी थी ,मैं बिलकुल आराम से था , कोई परेशानी नहीं थी ।
जनवरी २०१३ में मेरी हालात अचानक ख़राब रहने लगी , दवाई भी ली पर कोई आराम नहीं, मेरी नाैकरी
जा चुकी थी , मेरी बेटी की शादी भी उसी महा होनी थी, बहुत परेशान पर किसी तरह उस की शादी तक अपनी तकलीफ़
को भूल कर शादी कर के जब सब शादी के सारे कार्य पुरे हो गये तो आराम करा, पर एक दिन रात को फिर वह दर्द
बहुत तेज़ उठा , पास के अस्पताल मे गया । डाक्टर साहब ने चेक करा , इनजैकशन लगाया ओर घर भेज दिया दुसरे दिन फिर दर्द उठा अस्पताल गया , डाक्टर जाे उस समय थे पुरा फिर चेक़करा बोले गैस की वजह से चिन्ता मत किजिये ठीक
हो जायेगा , कुछ देर रोक कर फिर घर भेज दिया, दो तीन दिन तक यह सिलसिला चला फिर मुझे अस्पताल में भरती
कर लिया गया, उपचार चालु हो गया, रात किसी तरह काटी ,सवेरे फिर तेज़ दरद उठा डाक्टर साहब आये बोले आप काे
निमोयनाया हो गया, दवा दी गयी पर दरद अपनी जगह का उठ रहा था, तब डाक्टर साहब ने कहा आप की टीवी बिगड़
गयी , जाचँ पहले दिन से हो रही थी एक्सरे भी हो चुके थे अब टी बी का इलाज चालु पर दर्द कम ना हुआ , बताया
ग्यारह को स्वाइन फुलू हंोगया, मैं घबरा गया,सोचा क्या अन्त समय आगया ओर अस्पताल के बैंड पर ही अपनेमव की किस से कहुं, बस रो लेता था, मेरा मन घबरा चुका था ,मेरी स्वाइन फुलू की रिपोर्ट भी ठीक आई पर दरद कम ना हुआ, पर डाक्टर साहब के मन में क्या था , समझ से बाहर सारी रिपोर्ट देख कर बताया कि ठीक है, सी टी संैकन करा लो उस की रिपोर्ट भी आ गयी बोले लगता है डेगुं हो गया है, तुरन्त उस के उपचार की व्यवस्था कि प्रतिक्रिया चालु मैं रोने लगा
कया वास्तव में मरने वाला हुँ ,अजीब अजीब बातें मन में समा गयी अब कोइदेखने आता ओर कोइ बात करता तो लगता
कि बस टाइम पुछ रहा है, डेगुं कि रिपोर्ट भी गयी बिलकुल ठीक निकली पर मेरा दर्द कम ना हुआ अस्पताल का ख़र्चा
बड़ते बड़ते लाख पर कर चुका था, मन मे आ गया अब भगवान इस जल्लाद से बचा ले पर एक दिन वो डाक्टर का बहुत
तबियत बिगड़ ने पर कहा कि मेरा निमोयनाया बिगड़ गया ,मुझे आ सी यू में डील दिया गया, ३/४ दिन बाद वह डाक्टर
से कह रह था कि यह आदमी १४दिन का मेहमान है, मैंने सुनन लिया सारी रात काटे ना कटे ,दुसरे दिन मैंने हिम्मत कर के
डाक्टर साहब से कहा मुझे यहाँ से झुटटी कर के बाहर कर दाे ना जाने कैसे उस को रहम आ गया, मैं जनरल वार्ड
में आ गया ,पर मन विचलित हो चुका बुरे बुरे सपने आने लगे, फिर डाक्टर से कहाकि मेरी छुट्टी कर दो , बोले कुयूं मैंने
पलट कर कहा कि जब १४ दिन में मर जाउगां तो और २५/५० हज़ार ख़र्चा करुं वो चुप्प ओर मुझे छुट्टी मिली । मेरी पत्नी न्ाराज भी हुई पर किसी को नहीं बताया कि मेरी माैत़१४ दिन के बाद हो जायेगी ।
मैं घर पर आ गया ,मेरे हाथ पैर बिलकुल बेकार से हो गये, दवाइयों का असर मेरे शरीर को कमज़ोर करता जा रहा,
फिर अंक दो डाक्टर से सलाह ली बोले आप के ८०% फेफड़े बाएँ तरफ़ के और २०% फेफड़े दाएँ तरफ़ के बरवाद
हो गये आप को ज़िन्दगी एेसे ही जब तक है जीनी पड़ेगी बस यह आप ने अच्छे किया कि अस्पताल से छुट्टी ले ली ,
इस के बाद मैंने एक डाक्टर साहब से सलाह ली उन्होंने भी वही कहा पर दवा बन्द,कऱदी आज भी मैं उन के पास जाता हुँ
केवल खाँसी की दवा ओर खाना खाने के बाद हाज़मे के लिये दवा देते हें , कोइ जाँच,नहीं और आज तक जी रहा हुँ, पर
इन के इलाज के साथ साथ सेराजम थिरैपि ली कोइ ख़र्च नहीं । मेरे २०% फेफड़े भी ठीक हाे गये, जब मैं थिरैपि से ठीक
हुआ ओर डिप्रेशन से बाहर आया तब सब को बताया कि कुयूं अस्पताल से छुट्टी ली
मान लो अगर मै वही इलाज करता रहता तो मैं पैसे से भी बरवाद और हो सकता आप को यह कभी बत्तता भी नहीं ,पर यह़
भी है सब डाक्टर एेसे हों पर कुछ डाक्टर पैसे कमाने के चक्कर में दुसरे की जान चली जाये पर उन की पैसे हवस नहीं
जाती जो यह उन के पेशे के ख़िलाफ़ है हम लोग़ उन को भगवान समझे और कसाइयों का काम करें यह उन के लिये
उचित नहीं ,उन के एेसा कर ने सब पर से विश्वास उठे यह़भी मैं नही ं मानता
सेराजम थिरैपि