मंगलवार, 22 जुलाई 2014

रेप और समाज ,कानुन

क्या वास्तव में कानुन और समाज रेप नहीं रोक सकता ।

      तो कोई बताये कि यह कौन रोकेगा , क्या माँ बाप बच्चों को नहीं समझा सकते, क्या जिस लड़की 
की इज़्ज़त की लुटी जाये वह किस के आगे न्याय माँगे , क्या जो लोग यह कहते हैं या हम सब सोचते हैं कि 
क्या सब के घर बेटी नहीं है क्या सब के साथ सब हो जब ही सब सोचेगें जब सब के सिर पर आँच आयेगी
 कुयूं हम लोग ना समझी से यह सब कुछ कह देते हैं , कि राई का पहाड़ बन
जाये । कितनी दुख होता है कि जब यह दरिंदे महिलाऔं / लड़कियों का जीवन नर्क बनाते है, अब तो छोटी छोटी 
बच्चियों को भी नहीं बखसते , क्या यह समाज आगे बड़ कर अपने बच्चों  को हीं समझा सकता है,भगवान ने तो भी 
नहीं कहा कि इन्सान का जन्म दिया है इन्सान बने रहो , यह भी नहीं कहा कि ख़ाली हाथ भेज रहा हुँ , कमाओ मत 
, कुछ खाओ मत , भगवान ने तो हम को कुछ नहीं कहा फिर भी हम बहुत कुछ करते हैं । 
       इसलिये हम सब बेटी को सही रहना , परिवार की इज़्ज़त रखना बताते हैं तो बेटा ग़लत रास्ते पर
जाने कुयूं जाये ,माँ ही भगवान का वह रुप है जो रेप क्या चाहे तो बेटे को शहिद बन ने का रास्ता नहीं दिखा सकती 

       यह बात हम सब पर लागु होती है ,इस को जब रोकेगंे तो क्या कोई भगवान का रुप नहीं ले सकता ।
 यह बात एक आम बात है ,समाज के अन्दर इस ज़हर को आगे ना फैलने ना दें

सोमवार, 21 जुलाई 2014

आंतक , अत्याचार, सीरियलयों के अनदर

आज,कल इस की वजह से पूरे देश के अन्दर बहुत ही सिथति ख़राब हो चुकी है, पर फ़िल्मों के अन्दर तो कम से कम
तीन घंटे बाद इस का अंत हो जीता है, पर आज,कल जो टी वीं सिरियल के अन्दर दर्शकों जो परोसा जा रहा है , वह 
समाज के अन्दर ख़राब बातें परोसी जा रहीं हैं , हर सिरियल के अन्दर मारधाड़ ,लड़कियों का अपहरण , माँ बाप की बेइज़्ज़ती
,एक लड़की की कई बार शादियाँ कोइ इस पर कुयूं एतराज़ नहीं करता, अपहरण तो दिखाया जाता है अब तो बाेडर पार के 
सीन भी दिखाये जा रहे हैं जिसका कई सिरियल में उन का कोई महत्व नहीं और ना कहानी की माँगे है, यह कया 
दर्शकों को दिखाया जा रहा है, आदमी व लड़कियों को दिवारयमे ज़िन्दा चिनवाना भी यह बहुत ग़लत दिखाया जा रहा है, यह
लड़कियों के साथ ओर अत्याचारों को बढ़ावा देगा , एेसे दर्शय पर तुरन्त रोक लगनी चाहिये , सभी सिरियल सैंसऱ पास हो कर 
दिखाये जाने चाहिये ।
             जिस प्रकार सरस्वती चन्द्र के अन्दर जो दर्शय दिखाये जा रहे हैं व उतरन सिरियल के अन्दर दिखाया जा रहा है
यह भी रोका जाना चाहिये , क्योंकि दर्शय काफ़ी ख़राब माहौल पैदा करेंगे , सरकार को व सैंसऱ बोर्ड को तुरन्त इस पर 
रोक लगायी जानी चाहिये ।
  एक समय था जब सिरियल चालु हुये तो खुब सब को पसन्द आये थे , पर जो आज कल यह सिरियल बना रही है /बना रहे हैं 
क्या वह अपनी बहन बेटियों की बार शादी करवाये जा ने को राज़ी होगें , सिरियल की मतलब मनोरंजन है ना कि समाज 
में गंदगी फैलाना  यह भी आज कल समाज में ग़लत संदेश दे रहा है । समाज के अन्दर सिरियल अगर इन को बनाने हैं ,समाज मे
बड़ों का मान सम्मान दिखाये जाने वाले बने, समाज के अन्दर देश को सही रास्ता दिखाये जाने वाले बने , तभी इन का कुछ महत्व होगा ।

रविवार, 20 जुलाई 2014

समाज क्या बदल नहीं सकता

हर रोज़ कहीं ना कहीं बलात्कार होता है , महिलाऔं पर अत्याचार होता है, इस में कानुन को एक बदलाव जरुर करना
चाहिये कि मुजरिम की उम्र , क्या जब इन्सानियत से हट कर हैवानियत पर उस को पता नहीं होता कि उस की उम्र कितनी
है, उस की उम्र के हिसाब से तो ना जाने कितनी बहन बेटियों कि इज़्ज़त चली जायेगी और यह दरिदंे हर चौराहे पर खड़े 
हो कर कानुन का मज़ाक़ उड़ायेंगे , तब जिस के साथ जो बिती है उस के क़लेजे से पुछो उस पर क्या बीत रही होती 
सरे राह सड़क पर एक बार फिर सब लोग शब्दों के वाणांे से उस का बलात्कार कर देगें ,मान लो उस समय उन में से किसी 
की बहन बेटी के साथ बलात्कार हो उस समय उन के दिल पर क्या कुछ नहीं गुज़रेगा ।

         क्या वह भी उस समय भी वह अपने दोस्तों के अपनी बेटी का शब्दों के वाणांे से बलातकर करेगा , क्या कानुन 
में  खड़े हो कर बहन बेटी के विरोध बोलेगा, क्या वहाँ वह माँ बाप कहेगें उन दरंींदो को बख़्श दो?
         
         जब तक समाज नहीं पलटेगा , तब तक इस पर रोक नहीं लग सकती , दरंींदो के माँ बाप भाइयों व 
परिवार वालों को भी उन क विरोध करना

           देश के नेताओं को भी अपने विचारों के अन्दर नयी सोच लानी होगी   , मान लो कभी भगवान इन के
साथ एेसा ना होने दे । जब यह नेता गिरी से बाहर हो, तब देखो इन की तड़प   , जैसे बीन पानी मच्छली । क्या यह सहन कर पायेगें, इसलिये इन को बदलाव लाना होगा , यह एक घर का मामला नहीं पुरे देश का मामला है ।

रविवार, 13 जुलाई 2014

दर्द पेट में ओर दवा टी वीं की

 यह एक सत्य घटना मेरे साथ घट चुकी है, मेरा टी वी का इलाज सन् २०१०मंे हुआ था, २०११ मंे
                               मुझे डाक्टर ने कहा कि मैं बिलकुल ठीक हो गया हुँ
 , मेरी दवाएँ भी बन्द हो चुकी थी ,मैं बिलकुल आराम से था , कोई परेशानी नहीं थी ।
                जनवरी २०१३ में मेरी हालात अचानक ख़राब रहने लगी , दवाई भी ली पर कोई आराम नहीं, मेरी नाैकरी 
जा चुकी थी , मेरी बेटी की शादी भी उसी महा होनी थी, बहुत परेशान पर किसी तरह उस की शादी तक अपनी तकलीफ़
को भूल कर शादी कर के जब सब शादी के सारे कार्य पुरे हो गये तो आराम करा, पर एक दिन रात को फिर वह दर्द
बहुत तेज़ उठा , पास के अस्पताल मे गया । डाक्टर साहब ने चेक करा , इनजैकशन लगाया ओर घर भेज दिया दुसरे दिन फिर दर्द उठा अस्पताल गया , डाक्टर जाे उस समय थे पुरा फिर चेक़करा बोले गैस की वजह से चिन्ता मत किजिये ठीक 
हो जायेगा , कुछ देर रोक कर फिर घर भेज दिया, दो तीन दिन तक यह सिलसिला चला फिर मुझे अस्पताल में भरती
कर लिया गया, उपचार चालु हो गया, रात किसी तरह काटी ,सवेरे फिर तेज़ दरद उठा डाक्टर साहब आये बोले आप काे
निमोयनाया हो गया, दवा दी गयी पर दरद अपनी जगह का उठ रहा था, तब डाक्टर साहब ने कहा आप की टीवी बिगड़
गयी , जाचँ पहले दिन से हो रही थी एक्सरे भी हो चुके थे अब टी बी का इलाज चालु  पर दर्द कम ना हुआ , बताया
ग्यारह को स्वाइन फुलू हंोगया, मैं घबरा गया,सोचा क्या अन्त समय आगया ओर अस्पताल के बैंड पर ही अपनेमव की किस से कहुं, बस रो लेता था, मेरा मन घबरा चुका था ,मेरी स्वाइन फुलू की रिपोर्ट भी ठीक आई  पर दरद कम ना हुआ, पर डाक्टर साहब के मन में क्या था , समझ से बाहर सारी रिपोर्ट देख कर बताया कि ठीक है, सी टी संैकन करा लो उस की रिपोर्ट भी आ गयी बोले लगता है डेगुं हो गया है, तुरन्त उस के उपचार की व्यवस्था कि प्रतिक्रिया चालु मैं रोने लगा
कया वास्तव में मरने वाला हुँ ,अजीब अजीब बातें मन में समा गयी अब कोइदेखने आता ओर कोइ बात करता तो लगता 
कि बस टाइम पुछ रहा है, डेगुं कि रिपोर्ट भी गयी बिलकुल ठीक निकली पर मेरा दर्द कम ना हुआ अस्पताल का ख़र्चा
बड़ते  बड़ते लाख पर कर चुका था, मन मे आ गया अब  भगवान इस जल्लाद से बचा ले पर एक दिन वो डाक्टर का बहुत
तबियत बिगड़ ने पर कहा कि मेरा निमोयनाया बिगड़ गया ,मुझे आ सी यू में डील दिया गया, ३/४ दिन बाद वह डाक्टर
से कह रह था कि यह आदमी १४दिन का मेहमान है, मैंने सुनन लिया सारी रात काटे ना कटे ,दुसरे दिन मैंने हिम्मत कर के
डाक्टर साहब से कहा मुझे यहाँ से झुटटी कर के बाहर कर दाे ना जाने कैसे उस को रहम आ गया, मैं जनरल वार्ड
में आ गया ,पर मन विचलित हो चुका बुरे बुरे सपने आने लगे, फिर डाक्टर से कहाकि मेरी छुट्टी कर दो , बोले कुयूं मैंने 
पलट कर कहा कि जब १४ दिन में मर जाउगां तो और २५/५० हज़ार ख़र्चा करुं वो चुप्प ओर मुझे छुट्टी मिली ।  मेरी पत्नी न्ाराज भी हुई पर किसी को नहीं बताया कि मेरी माैत़१४ दिन के बाद हो जायेगी ।
      मैं घर पर आ गया ,मेरे हाथ पैर बिलकुल बेकार से हो गये, दवाइयों का असर मेरे शरीर को कमज़ोर करता जा रहा,
 फिर अंक दो डाक्टर से सलाह ली बोले आप के ८०% फेफड़े बाएँ तरफ़ के और २०% फेफड़े दाएँ तरफ़ के बरवाद 
हो गये आप को ज़िन्दगी एेसे ही जब तक है  जीनी पड़ेगी  बस यह आप ने अच्छे किया कि अस्पताल से छुट्टी ले ली ,
इस के बाद मैंने एक डाक्टर साहब से सलाह ली उन्होंने  भी वही कहा पर दवा बन्द,कऱदी आज भी मैं उन के पास जाता हुँ
केवल खाँसी की दवा ओर खाना खाने के बाद हाज़मे के लिये दवा देते हें , कोइ जाँच,नहीं और आज तक जी रहा हुँ, पर 
इन के इलाज के साथ साथ सेराजम थिरैपि ली कोइ ख़र्च नहीं । मेरे २०% फेफड़े भी ठीक हाे गये, जब मैं थिरैपि से ठीक 
हुआ ओर डिप्रेशन से बाहर आया तब सब को बताया कि कुयूं अस्पताल से छुट्टी ली
 
  मान लो अगर मै वही इलाज करता रहता तो मैं पैसे से भी बरवाद और हो सकता आप को यह कभी बत्तता भी नहीं ,पर यह़
भी है सब डाक्टर  एेसे हों पर कुछ डाक्टर पैसे कमाने के चक्कर में दुसरे की जान चली जाये पर उन की पैसे हवस नहीं
जाती जो यह उन के पेशे के ख़िलाफ़ है हम लोग़ उन को भगवान समझे और कसाइयों का काम करें यह उन के लिये 
उचित नहीं ,उन के एेसा कर ने सब पर से विश्वास उठे यह़भी मैं नही ं मानता



सेराजम थिरैपि


सोमवार, 7 जुलाई 2014

दंगे

Oजब  उतर प्रदेश में कहीं दंगे होते हैं, कोई कारण हाे उस पर राजनिती चालू होजाति है और उस को सांमपरदायिकता 
का नाम क्याें दिया जाता है ,सब जानते मन्दिर मस्जिद पर लाउड स्पीकर लगे हुयें हैं और पुरे देश में हैं तो फिर यहीं 
पर इंचार्ज कुयू , सरकार को सच्चाई का पता लगाना चाहिए यह किस व्यक्ति की साज़िश है कि जिस की वजह से
अमन शांति के माहौल को किस ने भंग किया , सरकार को अब बदलाव लाना होगा । कोन लोग हैं जो यह काम कर के 
प्रदेश के किसी भी हिस्से में बेचेनी कर के परिवारों को इन दंगों के कारण नुक़सान उठाना पड़ता, क्या यही 
साम्प्रदायिक की बात कुछ नेता कह कर अपना वर्चस्व बता कर महान बनते हैं, तो फिर  चुनाव के  वकत
में अपने अन्दर बदलाव ला कर हाथ जोड़,कर अपनी ग़लतियाँ छुपाते , अब जनता काफ़ी समझदारी से काम लेती
है ओर वोट के ज़रिये अपनी आवाज़ को ही आज़ादी के इस कार्य को कर के बताती है कि कोन साम्प्रदायिक
 है कोन धर्म  निरपेक्ष है । जिन के लिये सरकार ने अपने को पलटा उन लोगों ने ही सरकार का भरोसा तो अब तो प्रदेश
सरकार को सब को  एक बराबर से देखें सही बात को समझे  तभी प्रदेश सरकार उँचा उठ सकती है 
   ज़रा सी चुक बहुत बड़ी ग़लती होती है ओर फिर देखा जाता है कि कहाँ चुक हुई कि गाड़ी यहाँ ना रुक किसी 
ओर जगह रुक गयी , सरकार को सब को साथ ले कर चलना चाहिये 
  यह नहीं होना अपनों पराया जाये