इन पांखडीयो को हम सब ही तो बढ़ावा दे रहे है, वह हम सब को इतना मन मे मोह लेते है , हम सब अपना
बुरा भला तक भूल जाते है, यह नही सोचते की यह साधु /पंडित/ बाबा/ हम को पयार कितनी दूर ले जा कर छोड़ते
हैं वह रासता इतना कँटीली झाड़ियों से बना होता है कि हम सब दो राहें पर खड़े हो कर सोचते है कि घर जाऊँ या
या इन लोगों को जीवन सम्परण कर दुँ जब कि यह ज़ौक़ की तरह हम लोगों के बीच चिपट जाते हैं , हम सब को गुरु
दक्षिणा दे कर अपना बना ने मे कोई कसर नही छोड़ते ,दुसरा जब हम इन के चेले बन जाते है तो बस दिमाग मे गुरु
ओर गुरु का अपमान नहीं होना चाहिये ओर कुछ गुरु जो निस्वार्थता का फ़ायदा हम लोगों से उठाते है ,हम लोग चाहे तो
तब तक यह महान हो जाते देश के कर्णधार भी इन के साथ हो लेते है ,बस हम सोचते है कि अब जब नेता अभिनेता भी
इन क् साथ है तब हम भी अब जीवन इन को सोप दे ओर यही वह क्षण होते है जब यह गुरु लोग वे सब काम कर लेते
है जो देश हित में नही ,माया रुपी जंजाल इन का बहुत बड़े ज़हरीले अजगर की तरह कब किस को डँस ले पर कोई
बचे तो कैसे बचे पर कोई फँस कोइ बच गया तो उन के लिये यह प्राण घातक हो जाते है, अब इन का बचना मुश्किल है
तब देश के होनहार महापुरुषों को आगे करने रासता निकाल कर हज जाते है ।
चला ओ केस कया होगा ,कानुन मे बहुत बारिकयों का यह फ़ायदा उठा कर मसत रहते है ,जब बापु के
सहारे चलने वाले कुछ नेता एेसे भी रहे सरकारी ज़मीन मुफत मे पा ली, कुछ टी वी पर परचार कर के स्वयम्भू हो
जीते अब कया कानुन विगाडेगा ,अब तो जो ज़ख़ीरों का बेताज रामपाल मिला इस के पीछे भी कोइ ना कोइ तो होगा
,वरना इतना बारूद कैसे पहुँचा ?
साधु समाज भी इन से दूर रहता है,क्योंकि कोन बीना बुलाये मोत को करीब बुलाये ।
आम भखत तो अपनी जान तक देने को तैयार है ,पर उस बेचारे कोकया पता यह जल्लाद तेरी आड़ मे कितने जीवन
बरवाद कर रहा है ,देश को लुट,रहा है ,
सब से पहले आज,के समय मे हम सब को सोच पलटनी होगी ,अन्धा विशवास हटाना होगा , हर साल कोइ ना कोइ साँप कब अपनी केंचुली पलट कर हम सब को लुट,लेता है ,समझदारी कायम रखनी होगी , जबसहम इन के जाल मे नही फंसेगें तब ही यह पाखण्डी गायब होगें ।