अगर लडकी हिममत कर के बदमाशों का सामना करे उन चित कर दे यह बहुत बहादुरी का काम है
ओर उन नौजवानों के लिये भी जो मुक दर्शक बन कर यह तमाशबीन बन रहे थे , उन के उपर बिना थप्पड़
पड़े तो आवाज नही आइ है , कि उन को समझना चाहिये कि ओर लड़कियों क् साथ देते । अब छेड़ने
वालों से जयादा अधिकतर समाज,की आवाज आ रही है बाक़ी यात्री जिन मे नौजवान थे कया हाथों मे
चिड़िया पहने हुए थे ।
ज़री भी आगे बड़कर उन लड़कियो का साथ देते तो कया बिगड़ता , कम से कम वे अपनी नज़रों मे तो
नही गिरते , उन लड़कियों की जगह इन की बहनों के साथ यह तो कया यह तब उन लड़कों को गले लगीतेपय्र करते
कहते जीओ भाग जाओ हम है तो कया कम करता
यह सवाल अहम है दुष्ट से जयादा बुरा वह होता है दुष्ट,तो अन्याय होते देखे ओर साथ न दे ?
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